अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष IMF (International Monitory Fund)
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष IMF (International Monitory Fund)
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अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष IMF (International Monitory Fund)
एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्था
स्थापना – 1944 , ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में
मुख्यालय- वाशिंगटन, डीसी (अमेरिका )
स्थापना के समय सदस्य देश -29
वर्तमान मे सदस्य देश -190
प्रमुख (chief) – क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ( बुल्गारिया)
चीफ इकोनॉमिस्ट – गीता गोपीनाथ ( भारतीय )तीन साल से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में बतौर चीफ इकोनॉमिस्ट के रूप में कार्य कर रहीं हैं|
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष IMF (International Monitory Fund)
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष 190 सदस्य देशों वाला एक संगठन है जिनमें से प्रत्येक देश का इसके वित्तीय महत्त्व के अनुपात में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्यकारी बोर्ड में प्रतिनिधित्व हैं।
इस प्रकार वैश्विक अर्थव्यवस्था में जो देश अधिक शक्तिशाली है उस देश के पास अधिक मताधिकार है।
अंडोरा बना अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का 190 वां सदस्य
उद्देश्य
- वैश्विक मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देना।
- वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और सतत् आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देना।
- दुनिया भर में गरीबी को कम करना।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष IMF (International Monitory Fund)
- जब तक कोई देश अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का सदस्य नहीं बनता, तब तक उसे विश्व बैंक की शाखा अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (International Bank for Reconstruction and Development-IBRD) में सदस्यता नहीं मिल सकती|
- IMF प्रत्येक वर्ष ‘World Economic Outlook’ नामक शीर्षक से प्रत्येक वर्ष रिपोर्ट जारी करता है। इस रिपोर्ट में समष्टि अर्थशास्त्र के विभिन्न पहलुओं जैसे- आर्थिक गतिविधि, रोज़गार मुद्रास्फीति, कीमत, विदेशी मुद्रा और वित्तीय बाज़ार, बाहरी भुगतान, वित्त पोषण तथा ऋण पर विचार करते हुए अर्थव्यवस्थाओं के विकास का विश्लेषण प्रस्तुत किया जाता है।
- ग्लोबल फाइनेंशियल स्टैबिलिटी रिपोर्ट (Global Financial Stability Report- GFSR) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की एक अर्द्धवार्षिक रिपोर्ट है जो वैश्विक वित्तीय बाज़ारों की स्थिरता और उभरते-बाज़ारों के वित्तपोषण का आकलन करती है। सामान्यतः यह रिपोर्ट प्रति वर्ष दो बार, अप्रैल और अक्तूबर में जारी की जाती है।
- IMF द्वारा प्रकाशित की जाने वाली राजकोषीय निगरानी रिपोर्ट (Fiscal Monitor Report), वैश्विक वित्तीय संकट के बाद राजकोषीय चुनौतियों से निपटने हेतु मानकों की रूपरेखा तैयार करती है।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष सदस्य देशों की आर्थिक और वित्तीय नीतियों की निगरानी, वित्तीय सहायता, तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण पर फोकस करता करता है।
- वित्तीय सहयोग प्रदान करना: भुगतान संतुलन की समस्याओं से जूझ रहे सदस्य देशों को वित्तीय सहयोग प्रदान करना और अंतर्राष्ट्रीय भंडार की भरपाई करने, मुद्रा विनिमय को स्थिर करने और आर्थिक विकास के लिये ऋण वितरण करना।
- IMF निगरानी तंत्र: यह अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली का निरीक्षण करता है एवं अपने 189 सदस्य देशों की आर्थिक और वित्तीय नीतियों की निगरानी करता है। इस प्रक्रिया के एक भाग के रूप में यह निगरानी किसी एक देश के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर भी की जाती है। IMF आर्थिक स्थिरता के संबंध में संभावित जोखिमों पर प्रकाश डालने के साथ ही आवश्यक नीति समायोजन (Needed policy Adjustments) पर भी सलाह देता है।
- क्षमता विकास: यह केंद्रीय बैंकों, वित्त मंत्रालयों, कर अधिकारियों एवं अन्य आर्थिक संस्थानों को प्रौद्योगिकी सहयोग और प्रशिक्षण प्रदान करता है। यह राष्ट्रों के सार्वजनिक राजस्व को बढ़ाने, बैंकिंग प्रणाली का आधुनिकीकरण करने, मज़बूत कानूनी ढाँचे का विकास करने, शासन में सुधार करने में सहयोग करता है और वित्तीय आँकड़ों एवं व्यापक आर्थिक रिपोर्टिंग को प्रोत्साहित करता है। यह राष्ट्रों को सतत् विकास लक्ष्य (SDG) की ओर प्रगति करने में भी सहयोग करता है।
- वर्तमान में भारत ने कोष के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में एक विशेष स्थान प्राप्त कर लिया है। इस प्रकार भारत ने कोष के नीतियों के निर्धारण में एक विश्वसनीय भूमिका निभाई थी। इसने अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भारत की प्रतिष्ठा को बढ़ावा मिला है।
- भारत ने IMF से आने वाले वर्षों में विभिन्न संरचनात्मक सुधार का वादा किया जैसे- भारतीय मुद्रा का अवमूल्यन, बजट और राजकोषीय घाटे को कम करना, सरकारी खर्च एवं सब्सिडी में कमी करना, आयात उदारीकरण, औद्योगिक नीति में सुधार, व्यापार नीति में सुधार, बैंकिंग सुधार, वित्तीय क्षेत्र में सुधार, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का निजीकरण, आदि।