भारत में संवैधानिक और गैर-संवैधानिक संस्थाओं की सूची (1 Best In Hindi)

भारत में संवैधानिक और गैर-संवैधानिक संस्थाओं की सूची

संवैधानिक संस्थाओं की परिभाषा (Definition of Constitutional Bodies): ये वे संस्था हैं जिनका उल्लेख भारत के संविधान में किया गया है और इसलिए इन्हें स्वतंत्र और अधिक शक्तिशाली माना जाता है।

संवैधानिक संस्थाएं किसे कहते हैं 

 संवैधानिक संस्थाएं वैसी संस्थाएं होती है जिनका वर्णन भारत के संविधान के अंतर्गत किया गया है। अर्थात इन संस्थाओं के कार्यों ,शक्तियों तथा इससे संबंधित अन्य उल्लेख भारत के संविधान के 22 भागों तथा 395 अनुच्छेद मैं से किसी विशेष भाग तथा विशेष अनुच्छेद के अंतर्गत किया गया है।

संवैधानिक और गैर-संवैधानिक संस्थाओं किसे कहते हैं 

भारत में संवैधानिक और गैर-संवैधानिक संस्थाओं की सूची
भारत में संवैधानिक और गैर-संवैधानिक संस्थाओं की सूची

वे संस्थाएं जिनका वर्णन भारतीय संविधान के किसी भी अनुच्छेद एवं भाग में नहीं किया गया है अर्थात जिन संस्थाओं को संविधान के अंतर्गत उल्लेखित नहीं किया गया है उनको गैर संवैधानिक संस्थाओं के नाम से जाना जाता है इन संस्थाओं की स्थापना विशेष कार्य हेतु संसद द्वारा विशेष अधिनियम बनाकर के की जाती है
चुकीं इन संस्थाओं को संविधान से इतर अर्थात बाहर रखा गया है इसी कारण इन संस्थाओं को संविधानेत्तर संस्थाएं भी कहा जाता है तथा इन्हें संस्थाओं को सांविधिक संस्थाएं अर्थात स्टेट्यूटरी बॉडीज भी कहते हैं

उदाहरण: चुनाव आयोग, संघ लोक सेवा आयोग और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जातियों के लिए राष्ट्रीय आयोग इत्यादि।

भारत में संवैधानिक संस्थाओं की सूची इस प्रकार है:-

संवैधानिक निकाय

का नाम

  वर्तमान

अध्यक्ष

1. चुनाव आयोग

अनुच्छेद 324

  सुनील अरोड़ा (23 वें)
2. संघ लोक सेवा आयोग

अनुच्छेद – 315 से 323

  प्रदीप कुमार जोशी
3. राज्य लोक सेवा आयोग

अनुच्छेद – 315 से 323

  हर राज्य में अलग
4. वित्त आयोग

अनुच्छेद – 280

  एन के सिंह (15वें)
5. राष्ट्रीय अनुसूचित

जाति आयोग

अनुच्छेद – 338

  राम शंकर कठेरिया
6. राष्ट्रीय अनुसूचित

जनजाति आयोग

अनुच्छेद – 338 A

  नंद कुमार साय
7. भारत के नियंत्रक और

महालेखा परीक्षक

अनुच्छेद – 148

  गिरीश चन्‍द्र मुर्मू
8. भारत के महान्यायवादी

अनुच्छेद – 76

  के. के. वेणुगोपाल
9. राज्य के महाधिवक्ता

अनुच्छेद -165

  हर राज्य में अलग
10. भाषाई अल्पसंख्यकों के

लिए विशेष अधिकारी

अनुच्छेद – 350B

  —-

गैर-संवैधानिक संस्थाओं की परिभाषा (Definition of Non-Constitutional Bodies): गैर संवैधानिक या अतिरिक्त संवैधानिक संस्था समान ही होते हैं। ये संस्थायें देश के संविधान में लिखित नहीं हैं। अर्थात इनके गठन के लिए केंद्र सरकार को संसद में बिल पास करना पड़ता है। अतः ऐसे निकाय गैर-संवैधानिक निकाय होते हैं जो कि किसी विशेष उद्येश्य की पूर्ती के लिए गठित किये जाते हैं।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) एक संवैधानिक संस्था नहीं है क्योंकि इसकी स्थापना 1963 में गृह मंत्रालय के एक प्रस्ताव द्वारा की गई थी। इसका काम देश में अपराध, घोटाला और इंटरनेशनल क्राइम के मामलों की जाँच करना होता है।

सांविधिक और संवैधानिक संस्थाओं में अंतर या संवैधानिक तथा संविधानेत्तर संस्थाओं में अंतर या संवैधानिक और गैर-संवैधानिक संस्थाओं में अंतर

इन तीनों का जवाब एक ही समान है अर्थात ऐसी संस्थाएं जिनका उल्लेख भारतीय संविधान के किसी विशिष्ट अनुच्छेद या विशिष्ट भाग में किया गया है यह संवैधानिक संस्थाएं कहलाती है तथा जिन संस्थाओं का उल्लेख भारतीय संविधान में नहीं मिलता है  उनको गैर संवैधानिक/सांविधिक /संविधानेत्तर   संस्थान कहते हैं
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संवैधानिक तथा  सांविधिक संस्थाओं में दूसरा प्रमुख अंतर यह है कि संवैधानिक संस्थाओं की शक्तियों एवं उसमें किसी भी प्रकार का परिवर्तन करने के लिए भारत की संसद में संविधान संशोधन प्रस्ताव लाकर के उस प्रस्ताव को मंजूरी के उपरांत ही संवैधानिक संस्थाओं में परिवर्तन किया जा सकता है वहीं गैर संवैधानिक/सांविधिक /संविधानेत्तर  संस्थाओं में इस प्रक्रिया को अपनाना जरूरी नहीं होता है
अर्थात संवैधानिक संस्थाओं में किसी भी प्रकार का परिवर्तन करने के लिए संविधान संशोधन की प्रक्रिया अपनाई जाती है वहीं सामाजिक संस्थाओं में संविधान संशोधन की प्रक्रिया नहीं अपनाई जाती है

भारत में गैर-संवैधानिक संस्थाओं की सूची है:-

 गैर संवैधानिक निकाय का नाम   वर्तमान अध्यक्ष
 1. नीति आयोग  नरेंद्र मोदी
 2. राष्ट्रीय विकास परिषद  नरेंद्र मोदी
 3. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग  पूर्व CJI एचएल दत्तू
 4. राज्य का मानवाधिकार आयोग  हर राज्य में अलग
 5. केंद्रीय जांच ब्यूरो  ऋषि कुमार शुक्ला
 6. केंद्रीय सतर्कता आयोग  संजय कोठारी
 7. लोकपाल और लोकायुक्त  पिनाकी चंद्र घोष
 8. राज्य सूचना आयोग  हर राज्य में अलग
 9. केंद्रीय सूचना आयोग  यशवर्धन कुमार सिन्हा

इसलिए उपरोक्त व्याख्या से यह स्पष्ट है कि सरकारी निकाय प्रकृति में अधिक शक्तिशाली और स्थायी हैं जबकि अन्य गैर-संवैधानिक निकाय देश की आवश्यकताओं के अनुसार बनाए गए हैं और सरकार के निर्णय के आधार पर उन्हें समाप्त किया जा सकता है। जैसा कि हमने भारत के योजना आयोग के मामले में देखा था जिसे 1 जनवरी 2015 को नीति आयोग द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था।

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