विश्व और भारत का भूगोल
विश्व और भारत का भूगोल
ब्रह्मांड
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ब्रह्माण्ड अस्तित्वमान द्रव्य एवं ऊर्जा के सम्मिलित रूप को कहा जाता है। ब्रह्माण्ड के अन्तर्गत उन सभी आकाशीय पिंण्डों एवं उल्काओं तथा समस्त सौर मण्डल, जिसमें सूर्य, चन्द्र आदि भी सम्मिलित हैं, का अध्ययन किया जाता है। ब्रह्माण्ड उस अनन्त आकाश को कहते हैं, जिसमें अनन्त तारे, ग्रह, चन्द्रमा एवं अन्य आकाशीय पिण्ड स्थित हैं। ब्रह्माण्ड का व्यास लगभग 108 प्रकाशवर्ष है।
ब्रह्मांड की उत्पत्ति के संबंध मे सिद्धांत :-
- सामान्यस्थिति सिद्धान्त – इस सिद्धान्त के प्रतिपादक बेल्जियम के खगोलविद एवं पादरी ‘ऐब जॉर्ज लेमेण्टर’ थे।
2.महाविस्फोट सिद्धान्त (बिग बैंग थ्योरी) – यह सिद्धान्त दो सिद्धान्तों पर आधारित है-
- निरन्तर उत्पत्ति का सिद्धान्त – इसके प्रतिपादक ‘गोल्ड’ और ‘हरमैन बॉण्डी’ थे।
- संकुचन विमाचन का सिद्धान्त – ‘डॉक्टर ऐलन सेण्डोज’ इसके प्रतिपादक थे।
बिग बैंग थ्योरी
वह सभी पदार्थ जिनसे ब्रह्माण्ड बना है ,अति छोटे गोलक (एकाकी परमाणु) के रूप में एक ही स्थान पर स्थित था ,जिसका आयतन अत्यधिक सूक्ष्म तथा घनत्व अनंत था
अत्यधिक संकेन्द्रण के कारण बिंदु का आकस्मिक विस्फोट हुआ जिसे महाविस्फोट ब्रह्मांडीय विस्फोट( big-bang) कहा गया | इस अचानक विस्फोट से पदार्थो का बिखराव हुआ जिससे सामान्य पदार्थ निर्मित हुए |
महाविस्फोट की घटना आज से 13.7 अरब वर्ष पहले हुई थी |
महाविस्फोट के 10.5 अरब वर्ष बाद यानी आज से 4.5 अरब वर्ष पूर्व सौरमंडल का विकास हुआ जिससे ग्रहों और उपग्रहों का निर्माण हुआ |
इस प्रकार big bang परिघटना से ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति हुई और उसमे निरंतर विस्तार जारी है |
- ब्रह्मांड ब्रह्मांड में लगभग 100 अरब आकाशगंगा हैं|
- आकाशगंगा असीमित तारों का एक विशाल समूह होता है| इसमें एक केंद्रीय बल्ज एवं तीन घूर्णनशील भुजाएं होती हैं| बल्ज आकाश गंगा के केंद्र को कहते हैं| यहां तारों की मात्रा सर्वाधिक होती है|
- प्रत्येक आकाशगंगा में लगभग 100 अरब तारे होते हैं|
- हमारी आकाशगंगा को मंदाकिनी कहा जाता है|
- इसकी आकृति सर्पिल आकार है|
- मिल्की वे रात के समय दिखाई पड़ने वाले तारों का समूह है, जो हमारी आकाशगंगा का ही भाग है|
- लीमन-अल्फा ब्लॉब सबसे बड़ी आकाश गंगा
- ओरियन नेबुला हमारी आकाशगंगा के सबसे शीतल और चमकीले तारों का समूह है|
- हमारी आकाशगंगा का ब्यास 1लाख प्रकाश वर्ष है|
- मंदाकिनी तारों का ऐसा समूह, जो धुँधला सा दिखाई पड़ता है तथा जो तारा निर्माण प्रक्रिया की शुरूआत का गैसपुंज है। ब्रम्हाण्ड करोड़ों मंदाकिनियों का बना है। हमारी पृथ्वी की अपनी एक मंदाकिनी है, जिसे दुग्धमेखला या आकाशगंगा कहते हैं। हमारा सोरमंडल इसी गैलक्सी मे स्थित है |आकाशगंगा की सबसे नजदीकी मंदाकिनी को देवयानी नाम दिया गया है।नवीनतम ज्ञात मंदाकिनी ड्वार्फ मंदाकिनी है।
- एंड्रोमेडा हमारी आकाशगंगा के सबसे निकट की आकाशगंगा है|
- प्लेनीमस सौरमंडल से बाहर बिल्कुल एक जैसे दिखने वाले जुड़वा पिंडों का समूह है|
- साइरस या डॉग स्टार पृथ्वी से दिखाई पड़ने वाला (रात्रि में दिखाई पड़ने वाला) सर्वाधिक चमकीला तारा है|
- प्रॉक्सिमा सेंचुरी सूर्य का निकटतम तारा है|
- पृथ्वी के सबसे निकट तारा सूर्य है| इसरो ने 4 अगस्त 2015 को राजस्थान के उदयपुर के फतेह सागर स्थित वेधशाला में एशिया की सबसे बड़ी और दूर सौर दूरबीन (मल्टी एप्लीकेशन सोलर टेलीस्कोप) MAST का शुभारंभ कििया|
- चीन विश्व की सबसे बड़ी रेडियो दूरबीन फास्ट एपर्चर स्फेरिकल रेडियो टेलिस्कोप का निर्माण कर रहा है इस दूरबीन के निर्मित होने के पश्चात नासा के केपलर दूरबीन पीछे छूट जाएगी|
तारों का जीवन चक्र
तारों का जीवन चक्र में हाइड्रोजन और हीलियम मुख्य भूमिका निभाती हैं | तारों का जीवन चक्र मन्दाकिनी में मौजूद हीलियम और हाइड्रोजन गैसों के मौजूदगी में एकत्रित होने तथा गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में नाभिकीय संलयन प्रक्रिया द्वारा शुरू होती हैं | इस नाभिकीय संलयन प्रक्रिया के दौरान हाइड्रोजन गैस हीलियम गैस में परिवर्तित होने लगती हैं | अतः इस प्रक्रिया के दौरान यह तारा बन जाता हैं | तब धीरे-धीरे तारा के केन्द्र का हाइड्रोजन समाप्त होने लगता हैं और इस कारण तारों का केन्द्रीय भाग धीरे-धीरे सिकुड़ने लगता हैं और यह गर्म हो जाता हैं परन्तु इसका बाहरी भाग अभी भी हाइड्रोजन को हीलियम में परिवर्तित करना जारी रखता हैं अतः यह धीरे-धीरे ठण्डा होकर लाल दिखाई देने लगता हैं और इसका बाहरी भाग का प्रसार अत्यधिक हो जाता हैं जिससे यह दानव आकार का दिखने लगता हैं जिसे रक्त दानव अवस्था भी कहा जाता हैं | रक्त दानव अवस्था में पहुँचते ही इन तारों का आने वाला समय उसके द्रव्यमान पर निर्भर करता हैं |
चंद्रशेखर सीमा (Chandrashekhar Limit) – 1.4 Ms द्रव्यमान को चंद्रशेखर सीमा कहते हैं जहां Ms सूर्य का द्रव्यमान है अर्थात चंद्रशेखर सीमा का मान सूर्य के द्रव्यमान का 1.4 गुना होता है
यदि तारों का द्रव्यमान चंद्रशेखर सीमा (1.4 Ms) से कम हो तो वह सुपरनोवा विस्फोट(Supernova Explosion) के बाद श्वेत वामन (White Dwarf) मे बदल जाता है श्वेत वामन को हो जीवाश्म तारा भी कहते है श्वेत वामन ठंडा होकर काला वामन (Black Dwarf) मे बदल जाता है
यदि सुपरनोवा विस्फोट(Supernova Explosion) के बाद तारों का द्रव्यमान चंद्रशेखर सीमा (1.4 Ms) से अधिक होता है तो इस अवस्था मे तारे के नाभिक के इलेक्ट्रान नाभिक को छोड़कर बाहर निकाल जाते है और नाभिक मे केवल न्यूट्रॉन बचे रहते है इस अवस्था मे तारे को न्यूट्रॉन तारा कहते हैं
न्यूट्रॉन तारा असीमित समय तक सिकुड़ता चला जाता है जिसके फलस्वरूप कृष्ण छिद्र (Black Hole) का निर्माण होता है ब्लैक होल को देखा नहीं सकता है क्यूंकी इसमे से प्रकाश भी बाहर नहीं आ पाता है
ब्लैक होल की संकल्पना को सबसे पहले जॉन व्हीलर ने प्रतिपादित किया था
सौरमण्डल
सूर्य, पृथ्वी के समान ग्रहों, विभिन्न उपग्रहों एवं अन्य खगोलीय पिंडों का परिवार ‘सौरमंडल’ कहलाता है। सौरमंडल का प्रमुख सदस्य ‘सूर्य’ एक ‘तारा’ है। इसके चारों और आठ ग्रह चक्कर लगाते हैं। ये ग्रह क्रमशः बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण तथा वरुण हैं। ये ग्रह परवलयाकार मार्ग में सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं। सौरमंडल की संपूर्ण ऊर्जा का स्रोत सूर्य है।
- सूर्य से ग्रहों की दूरी का क्रम है – बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरूण, वरुण, यम (प्लूटो) ।
- आकार के अनुसार क्रम है – बृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण, पृथ्वी, शुक्र, मंगल, बुध व यम ।
- पृथ्वी से दूरी के अनुसार क्रम है – शुक्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शनि, अरुण, यम ।
- ग्रहों की परिक्रमा करने वाले अपेक्षाकृत छोटे पिंडों को ‘उपग्रह’ कहते हैं । जैसे चन्द्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाने के कारण उपग्रह कहलाता है ।
बुध ग्रह Mercury
बुध में वायुमण्डल नहीं है ।
सूर्य का सबसे नजदीकी ग्रह है।
यह सूर्य निकलने के 2 घंटे पहले दिखाई पड़ता है।
सबसे छोटा और सबसे हल्का ग्रह है।
इसके पास कोई उपग्रह नहीं है।
इसका सबसे विसिष्ट गुण है – इसमें चुंबकीय क्षेत्र का होना।
यह सूर्य की परिक्रमा सबसे कम समय में पूरा करता है।
यहां दिन अति गर्म व राते बर्फीली होती है इसका तापान्तर सभी ग्रहो में सबसे अधिक है।
शुक्र ग्रह Venus
यह पृथ्वी का सबसे निकटतम, सबसे चमकीला एवं सबसे गर्म ग्रह है।
इसे भोर का तारा कहा जाता है क्योकि यह शाम में पश्चिम दिशा में सुबह में पूरब की दिशा में आकाश में दिखाई पड़ता है।
यह अन्य ग्रहो के विपरीत दक्षिणावर्त चक्रण करता है।
इसे पृथ्वी का भगिनी ग्रह कहते है यह घनत्व, आकार एवं व्यास में पृथ्वी के समान है।
इसके पास कोई उपग्रह नहीं है।
बृहस्पति ग्रह Jupiter
यह सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है।
इसे अपनी धुरी पर चक्कर लगाने में 10 घंटे और सूर्य की परिक्रमा करने में 12 वर्ष लगते है।
बृहस्पति का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान का लगफग 1000 वां भाग है।
इसके उपग्रह ग्यानिमिड सभी उपग्रहों में सबसे बड़ा है।
शुक्र के चारों ओर सल्फ्लूरिक एसिड़ के बादल हैं ।
इसकी सतह चट्टानों व ज्वालामुखी से भरी पड़ी है।
यह सबसे चमकीला ग्रह है जिसके कारण इसे ‘‘भोर का तारा’’ व ‘‘सांझ का तारा’’ कहते हैं ।
इसके वायुमण्डल में 90-95 प्रतिशत कार्बन डाइक्वाइड है ।
आकार व द्रव्यमान में थोड़ा छोटा होने के कारण इसे ‘‘पृथ्वी की बहिन’’ भी कहते हैं । इसका वायुमण्डलीय दाब पृथ्वी से 100 गुना अधिक है ।
मंगल ग्रह Mars
इसे लाल ग्रह कहा जाता है इसका रंग लाल, आयरन ऑक्साइड के कारण होता है।
यह अपनी धुरी पर 24 घंटे में एक बार पूरा चक्कर लगाता है।
इसके 2 उपग्रह है – फोबोस और डीमोस।
सूर्य की परिक्रमा करने में इसे 687 दिन लगते है।
सौरमंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी ओलिंपस मेसी इसी ग्रह पर स्थित है।
निक्स ओलम्पिया सौरमंडल का सबसे ऊँचा पर्वत इसी ग्रह पर स्थित है। जो एवरेस्ट से तीन गुना ऊँचा है |
शनि ग्रह । Saturn planet
यह आकार में दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है।
इसकी प्रमुख विशेषता – इसके तलय के चारो और वलय का होना ( मोटी प्रकाश वाली कुंडली )।शनि ग्रह के प्रसिद्ध चतुर्दिक वलय वास्तव में हजारों की संख्या में सर्पीली तरंगों की पेटियाँ हैं ।
इसके वलय की संख्या 7 है।
यह आकाश में पिले तारे के समान दिखाई पड़ता हैं।
इसके मुख्य उपग्रह फोबे, टेथिस तथा मीमास’ आदि हैं ।
इसका घनत्व सभी ग्रहो एवं जल से भी कम है यानि इसे जल में रखने पर तैरने लगता है।
शनि का सबसे बड़ा उपग्रह टाइटन है जो सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा उपग्रह है।
यह आकार में बुध के बराबर है।
टाइटन की खोज 1665 में हाईजोन ने की थी।
शनि ग्रह के प्रसिद्ध चतुर्दिक वलय वास्तव में हजारों की संख्या में सर्पीली तरंगों की पेटियाँ हैं ।
इसके चंद्रमा टिटान पर नाइट्रोजन तथा हाइड्रोकार्बन के प्रमाण से पता चलता है कि यहां जीवन के लक्षण मौजूद तो है पर जीवन का अस्तित्व नहीं है ।
अरुण ग्रह । Uranus planet
यह आकार में तीसरा सबसे बड़ा ग्रह है इसका तापमान लगफग -215 C है।
इसकी खोज 1781 ई. में विलियम हर्शेल द्वारा की गयी।
इसके चारों और 9 वलय है।
यह अपने अक्च पर पूर्व से पख्चिम की और घूमता है जबकि अन्य ग्रह पख्चिम से पूर्व की और घूमते है।
यहाँ सूर्योदय पख्चिम की और एवं सूर्यास्त पूरब की और होता है।
यह अपनी धुरी पर सूर्य की और इतना झुका हुआ है की यह लेटा हुआ सा दिखाई पड़ता है इसलिए इसे लेटा हुआ ग्रह भी कहते है।
इसका सबसे बड़ा उपग्रह टाइटेनिया है।
वरुण ग्रह । Neptune planet
इसकी खोज 1846 ई. में जहाँन गाले ने की थी।
यह हरे रंग का ग्रह है यानिकि यह हरे रंग का प्रकाश उत्सर्जित करता है।
इसके उपग्रहों में ट्राइटन प्रमुख है।
यम ( प्लूटो)
सबसे छोटा ग्रह है ।
इसका परिक्रमा पथ अत्यन्त दीर्घ वृत्तीय है ।
इसी कारण 1999 तक वरुण सूर्य का सबसे दूरस्थ ग्रह बना रहा ।
2000 में यम सूर्य का सबसे दूरस्थ ग्रह हो गया है ।
- मंगल और वृहस्पति की कक्षाओं के बीच में छोटे-छोटे पिण्डों के अनेक झुण्ड हैं, जो क्षुद्र ग्रह ;।(Asterpoid) कहे जाते हैं ।
- शुक्र एवं यूरेनस को छोड़कर अन्य सभी ग्रहों के घूर्णन एवं परिक्रमण की दिशा एक ही रहती है ।
- यद्यपि पृथ्वी का आकार गोल है, किंतु ध्रुवों पर यह कुछ चपटी है । पृथ्वी आकार व बनावट में शुक्र ग्रह के समान है ।
- वायुमंडल
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- प्राकृतिक वनस्पति , वन्य जीव
- भारत का परिवहन
- भारत की जनसंख्या
- भारत की प्रमुख नदी जल परियोजनाए
- भारत की जलवायु