पक्ष की परिभाषा और प्रकार ( भेद ) वाच्य की परिभाषा और प्रकार ( भेद )

1.पक्ष की परिभाषा

क्रिया के जिस रूप से क्रिया प्रक्रिया अर्थात क्रिया व्यापार का बोध होता है ,उसे क्रिया का पक्ष कहते हैं ! यह क्रिया- व्यापार दो दृष्टियों से देखा जा सकता है ! पहली दृष्टि से हम देखते हैं कि क्रिया की प्रक्रिया आरंभ होने वाली है अथवा आरंभ हो चुकी है, अथवा वर्तमान में चालू है याहो चुकी है ! दूसरी दृष्टि में क्रिया -प्रक्रिया को एक इकाई के रूप में देखते हैं !

पक्ष के प्रकार

1 . (i) आरंभदयोतक पक्ष

(ii) सातप्यबोधक पक्ष

(iii) प्रगतिदयोतक पक्ष

(iv) पूर्णतादयोतक पक्ष

2. (i) नित्यतादयोतक पक्ष

(ii) अभ्यासदयोतक पक्ष

1 . (i) आरंभदयोतक पक्ष(Arambhdyotak Paksh)

इस पक्ष में क्रिया के आरंभ होने की स्थिति का बोध होता है ,
जैसे की –
अब मोहन खेलने लगा है !

(ii) सातप्यबोधक पक्ष (Satpyabodhak Paksh)

इससे क्रिया की प्रक्रिया के चालू रहने का बोध होता है ,
जैसे की –
गीता कितना अच्छा गा रही है !

(iii) प्रगतिदयोतक पक्ष (Pragtidayotak Paksh) 

इससे क्रिया की निरंतर प्रगति का बोध होता है ,
जैसे की –
भीड़ बढ़ती जा रही है !

(iv) पूर्णतादयोतक पक्ष (Purntadayotak Paksh) 

इस पक्ष से क्रिया के पूरी तरह समाप्त हो जाने का बोध होता है,
जैसे की –
वह अब तक काफी खेल चूका है !

2. (i) नित्यतादयोतक पक्ष (Nityatadayotak Paksh)

इस पक्ष से क्रिया के नित्य अर्थात सदा बने रहने का बोध होता है , इसका आदि -अंत नहीं होता ,
जैसे की-
पृथ्वी गोल है !, सूरज पूर्व में निकलता है !

(ii) अभ्यासदयोतक पक्ष (Abhyasdayotak Paksh)

यह पक्ष क्रिया के स्वभाववश होने का सूचक है ,
जैसे की-
वह दिन भर मेहनत करता था तब सफल हुआ !

2.वाच्य की परिभाषा

->वाच्य क्रिया का वह रूप है जो यह बताता है कि क्रिया-व्यापार का मूल संचालक कर्ता है अथवा कर्म, यह इस बात की ओर संकेत करता है कि कर्ता क्रिया को करने में समर्थ है अथवा नहीं।

->क्रिया के जिस रूप से यह पता चलें कि किसी वाक्य में कर्ता कर्म या भाव में किसी एक की प्रधानता है, उसे वाच्य कहते है।
->जिस क्रिया के द्वारा हमें यह पता चलता है कि  वाक्य क्रिया को मुख्य या मूल रूप से चलाने वाला कौन है। अर्थात कर्म,कर्ता भाव,या कोई अन्य घटक है। उसे वाच्य कहते है। 
जैसे —
  1.  रंजन पुस्तक बेच रहा था।
  2.  (क). पुस्तक बेची जा रही थी ।   (ख). वह पुस्तक बहुत बिक रही थी
  3.  हमसे यहॉं नहीं बैठा जाता ।
वाक्य 1 में— बेच रहा था- क्रियापद रंजन के बारे में बता रहा है। रंजन कर्ता है और क्रिया पद उसी के बारें में कुछ विधान कर रहा है। अत: पूरा वाक्य कर्तृवाच्य है।
वाक्य 2 में— बेची जा रही थी क्रिया पद का उददेश्य बेचने वाले व्यक्ति के बसरे में बताना नहीं है। बल्कि पुस्तक के बारें में बताना है। यहॉं पुस्तक कर्म है। इसलिए सम्पूर्ण वाक्य में है। इसी प्रकार वाक्य ख में भी कर्मवाच्य है।
वाक्य 3 में — बैठा जाता क्रिया के साथ कर्म सम्भव नहीं है। और न ही कर्ता पर बल है। इसमें क्रिया का भाव ही मुख्य है। इसलिए यह वाक्य भाव वाच्य है।

दो प्रकार की क्रियाएँ होती हैं-

  1. अकर्मक क्रिया (Intransitive Verb)
  2. सकर्मक क्रिया (Transitive verb)

अकर्मक क्रिया का मतलब है— कर्म-रहित क्रिया और सकर्मक क्रिया से तात्पर्य है— कर्म-युक्त क्रिया। यानी जब वाक्य में क्रिया अपने साथ कर्म लाती है तब वह सकर्मक क्रिया कहलाती है और जब वह कर्म नहीं लाती है तब वह अकर्मक क्रिया कहलाती है।

उदाहरण

  • प्रवरः भवनै निवसति। (अकर्मक क्रिया)
  • प्रवरः भवने पुस्तकं(कर्म) पठति। (सकर्मक क्रिया)

वाच्य के प्रकार 

इस आधार पर (कर्म की उपस्थिति-अनुपस्थिति) वाक्य तीन प्रकार के होते हैं-

  1. कर्म-प्रधान वाक्य
  2. कर्ता-प्रधान वाक्य और
  3. क्रिया (भाव) प्रधान वाक्य

1.कर्त वाच्य 

इस प्रकार के वाक्यों के दौरान वाक्य में कर्ता प्रधान होता है, और सारा कार्य उसी के द्वारा किया जा रहा होता है| उदाहरण के तौर पर :-

  • वह अपने घर जा रहा है|
  • मैं कविता लिख रहा है|
  • ट्रेन पेट्रोल से चल रही है|
  • मजदूर सड़क को बना रहे हैं|

2.कर्म वाच्य 

सकर्मक धातु में कर्म की जब प्रधानता रहती है तब कर्मवाच्य कहा जाता है

इस प्रकार के वाक्यों में कर्म प्रधान होता है, एवं वाक्य में सारा कार्य कर्म के द्वारा किया जा रहा होता है| उदाहरण के तौर पर :-

  • पेट्रोल द्वारा कार को चलाया जा रहा है|
  • सड़क को मजदूरों के द्वारा बनाया जा रहा है|
  • कविता मेरे द्वारा लिखी जा रही है|
  • घर को उसके द्वारा जा रहा था|

3.भाव वाच्य 

जब अकर्मक धातु के भाव में प्रधानता रहती है तब उसे भाववाच्य कहते हैं।

इस प्रकार के वाक्यों में कर्ता या कर्म की प्रधानता न होकर, भावों की प्रधानता होती है| उदाहरण के तौर पर :-

  • अब यह मुझसे सहा नहीं जाता|
  • धूप में टहला नहीं जाता|
  • बारिश में घुमा नहीं जाता|
वाच्य परिवर्तन (Transformation of Voices)

उपर्युक्त विवेचित वाच्यों में कर्तृवाच्य अकर्मक और सकर्मक, दोनों प्रकार की क्रियाओं से; कर्मवाच्य, सकर्मक क्रियाओं से तथा ‘भाववाच्य’ केवल अकर्मक क्रियाओं से ही बनते हैं। यहाँ ‘कर्तृवाच्य’ से ‘कर्मवाच्य’ तथा ‘भाववाच्य’ बनाने की विधियों पर अलग-अलग विचार किया जाएगा।

कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाना

‘कर्मवाच्य’ केवल सकर्मक क्रियाओं से ही बनते हैं। अतः कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाते समय निम्नलिखित परिवर्तन करने होते हैं :
(क) कर्तृवाच्य के मुख्य कर्ता के साथ से’ (कभी-कभी ‘द्वारा’) विभक्ति जोड़कर उसे ‘करण-कारक’ बना दिया जाता है; जैसे-रमा-रमा से, राजू ने राजू से, मैंने-मुझसे या मेरे द्वारा।
(ख) ‘जा’ धातु के क्रिया रूप कर्मवाच्य की (सामान्य भूतकालिक) मुख्य क्रिया के लिंग, वचन आदि के अनुसार जोड़कर ‘साधारण क्रिया’ को संयुक्त क्रिया’ बना दिया जाता है; जैसे : खाता है-खाया जाता है। घूमता हूँ-घूमा जाता है। को मारा-को मारा गया। लिख रहे थे-लिखे जा रहे थे।
(ग) कर्मवाच्य की क्रिया के लिंग, वचन आदि वाक्य के कर्म के अनुसार प्रयोग किए जाते हैं।

कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाना उदाहरण

कुछ उदाहरण :

 कर्तृवाच्य कर्मवाच्य
1.  आज आचार्य ने सुंदर भाषण दिया।  आज आचार्य दवारा सुंदर भाषण दिया गया।
2.  मैंने पत्र लिखा।  मुझसे पत्र लिखा गया।
3.  राम ने रावण को मारा।  राम के द्वारा रावण को मारा गया।
4.  भारत ने नया उपग्रह छोड़ा।  भारत द्वारा नया उपग्रह छोड़ा गया।
5.  राधा पुस्तक पढ़ती है।  राधा से पुस्तक पढ़ी जाती है।

कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाना

‘भाववाच्य’ केवल अकर्मक क्रियाओं से ही बनते हैं अर्थात् उनमें कर्म नहीं होता। अतः कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाते समय :
(क) ‘कर्तृवाच्य’ से ‘कर्मवाच्य’ बनाने की विधि के नियम ‘क’ तथा ‘ख’ यहाँ भी पूरी तरह लागू होते हैं।
(ख) वाक्य की क्रिया (भाव) को ही वाक्य का कर्ता बना दिया जाता है; जैसे-हँसता है-हँसा जाता है। खेला खेला गया। सोएगा-सोया जाएगा। रो रही है-रोया जा रहा है।
(ग) ‘जा’ धातु के क्रिया-रूप कर्तृवाच्य के ‘काल-भेद’ के अनुसार जुड़ जाते हैं।
(घ) क्रिया सदैव अन्य पुरुष पुल्लिग तथा एकवचन में रहती है।

कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाना उदाहरण

कुछ उदाहरण :

 कर्तृवाच्य भाववाच्य
1.  मैं नहीं खाता।  मुझसे खाया नहीं जाता।
2.  वह खाता है।  उससे खाया जाता है।
3.  वह नहीं दौड़ता।  उससे दौड़ा नहीं जाता।
4.  वे जाते हैं।  उनसे जाया जाता है।
5.  राधा नहीं पढ़ती है।  राधा से पढ़ा नहीं जाता।

प्रश्नोत्तरी

Q.1.उनसे रोया जा रहा है ।

  1. कर्मवाच्य
  2. कर्तृवाच्य
  3. भाववाच्य
  4. कोई नहीं

Q.2.कर्तृवाच्य की क्रिया ________होती है ।

  1. अकर्मक-सकर्मक
  2. अकर्मक
  3. सकर्मक
  4. कोई नहीं

Q.3.__________में क्रिया कर्म के अनुरूप होती है , इसलिए हमेशा सकर्मक होती है ।

  1. भाववाच्य
  2. कर्मवाच्य
  3. कर्तृवाच्य
  4. उपवाच्य

Q.4.कर्तृवाच्य के सम्बन्ध में निम्न में से कौन सा कथन सत्य नहीं है ?

  1. कर्तृवाच्य में क्रिया के लिंग व वचन कर्ता के अनुसार ही होते हैं ।
  2. कर्तृवाच्य में कर्म की प्रधानता होती है ।
  3. कर्तृवाच्य में अकर्मक और सकर्मक दोनों प्रकार की क्रियाओं का प्रयोग होता है ।
  4. इनमे से कोई नहीं

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