( Best ) संबंधबोधक की परिभाषा और भेद

संबंधबोधक

Table of Contents

[lwptoc]

संबंधबोधक की परिभाषा

ऐसे शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के बाद लगकर उनका संबंध वाक्य के अन्य शब्दों को बताते हैं, उन्हें संबंधबोधक कहते हैं।
निम्नलिखित वाक्यों को ध्यान से पढ़ें:

    1. लाल किले पर तिरंगा लहरा रहा है।
    2. घर के आगे बगीचा है।
    3. राम के नाम के बिना सुख नहीं मिलता।
    4. उसके साथ बच्चे भी गए।
    5. ज्ञान के बिना जीवन बेकार है।

संबंधबोधक के  भेद ( प्रकार )

1. प्रयोग के आधार पर संबंधबोधक अव्यय के प्रकार

(i)  सम्बद्ध
(ii) अनुबद्ध

(i) सम्बद्ध

जो सम्बंधबोधक अव्यय संज्ञा,सर्वनाम के आगे किसी कारक चिन्ह के साथ लगाए जाते हैं,सम्बद्ध सम्बंधबोधक अव्यय कहलाते हैं।

जैसे – के बिना, के साथ,के पीछे,के आगे,से पहले आदि।

उदाहरण – राम से पहले श्याम पहुँच गया

राम के बिना श्याम नहीं जाता ।

(ii) अनुबद्ध

जो सम्बंधबोधक अव्यय संज्ञा,सर्वनाम के आगे बिना किसी कारक चिन्ह के साथ लगाए जाते हैं,सम्बद्ध सम्बंधबोधक अव्यय कहलाते हैं।

जैसे – तक,सहित,भर,पर्यन्त आदि ।

उदाहरण – वह रात भर घूमता रहा ।

वह जीवन पर्यन्त अध्यापक रहा।

2. व्युत्पत्ति के आधार पर संबंधबोधक अव्यय के प्रकार

(i)  मूल
(ii)  यौगिक

(i) मूल सम्बंधबोधक अव्यय

वे सम्बंधबोधक अव्यय जिनकी रचना मूल रूप से हुई है अर्थात ये किसी अन्य शब्द की सहायता से नही बनाये गए है,मूल सम्बंधबोधक अव्यय कहलाते हैं।

जैसे – समान,बिना,समेत,तक आदि।

(ii) यौगिक सम्बंधबोधक अव्यय

वे सम्बंधबोधक अव्यय जिनकी रचना मूल रूप से नहीं हुई है अर्थात ये किसी अन्य शब्द की सहायता से  बनाये गए है,यौगिक सम्बंधबोधक अव्यय कहलाते हैं।

जैसे – पर्यन्त = परि + अंत

3. अर्थ के आधार पर संबंधबोधक अव्यय के प्रकार

1.कालवाचक संबंधबोधक

2. स्थानवाचक संबंधबोधक

3. दिशाबोधक संबंधबोधक

4. साधनवाचक संबंधबोधक

5. विरोधसूचक संबंधबोधक

6. समतासूचक संबंधबोधक

7. हेतुवाचक संबंधबोधक

8. सहचरसूचक संबंधबोधक

9. विषयवाचक संबंधबोधक

10. संग्रवाचक संबंधबोधक

11. कारणवाचक संबंधबोधक

12. सीमावाचक संबंधबोधक

1. कालवाचक संबंधबोधक

जिन अव्यय से समय का पता चलता है उसे कालवाचक संबंधबोधक कहते हैं। जहाँ पर पहले , बाद , आगे , पीछे , पश्चात , उपरांत आते हैं वहाँ पर कालवाचक संबंधबोधक होता है।
जैसे :- (i) राम के बाद कोई अवतार नहीं हुआ।

2. स्थानवाचक संबंधबोधक 

जो अव्यय शब्द स्थान का बोध कराते हैं उन्हें स्थानवाचक संबंधबोधक कहते हैं। जहाँ पर बाहर , भीतर , ऊपर , नीचे , बीच , आगे , पीछे ,सामने , निकट आते हैं वहाँ पर स्थानवाचक संबंधबोधक होते है।
जैसे :- (i) मेरे घर के सामने बगीचा है |

3. दिशावाचक संबंधबोधक

जो अव्यय शब्द दिशा का बोध कराते है उन्हें दिशा वाचक संबंधबोधक कहते है। जहाँ पर निकट , समीप , ओर , सामने , तरफ , प्रति आते हैं वहाँ पर दिशावाचक संबंधबोधक होता है।
जैसे :- (i) परिवार की तरफ देखो कि कितने भले हैं।

4. साधनवाचक संबंधबोधक 

जो अव्यय शब्द किसी साधन का बोध कराते है उन्हें साधनवाचक संबंधबोधक कहते हैं। जहाँ पर निमित्त , द्वारा , जरिये , सहारे ,माध्यम , मार्फत आते है वहाँ पर साधनवाचक संबंधबोधक होता है।
जैसे :- (i) वह मित्र के सहारे ही पास हो जाता है।

5. विरोधसूचक संबंधबोधक

जो अव्यय शब्द प्रतिकूलता या विरोध का बोध कराते हैं उन्हें विरोधसूचक संबंधबोधक कहते हैं। जहाँ पर उल्टे , विरुद्ध , प्रतिकूल , विपरीत आते हैं वहाँ पर विरोधसूचक संबंधबोधक होता है।
जैसे :- (i) आतंकवादी कानून के विरुद्ध लड़ते हैं।

6. समतासूचक संबंधबोधक

जो अव्यय शब्द समानता का बोध कराते हैं उन्हें समतासूचक संबंधबोधक कहते हैं। जहाँ पर अनुसार , सामान्य , तुल्य , तरह , सदृश , समान , जैसा , वैसा आते हैं वहाँ पर समतावाचक संबंधबोधक होता है।
जैसे :- (i) मानसी के समान मीरा भी सुंदर है।

7. हेतुवाचक संबंधबोधक 

जहाँ पर रहित , अथवा , सिवा , अतिरिक्त आते है वहाँ पर हेतुवाचक संबंधबोधक होता है।

8. सहचरसूचक संबंधबोधक 

जहाँ पर समेत , संग , साथ आते हैं वहाँ पर सहचरसूचक संबंधबोधक होता है।

9. विषयवाचक संबंधबोधक 

जहाँ पर विषय , बाबत , लेख आते हैं वहाँ पर विषयवाचक संबंधबोधक होता है।

10. संग्रवाचक संबंधबोधक 

जहाँ पर समेत , भर , तक आते हैं वहाँ पर संग्रवाचक संबंधबोधक होता है।

11. कारणवाचक संबंधबोधक

जो अव्यय शब्द किसी कारण का बोध कराते हैं उन्हें कारणवाचक संबंधबोधक कहते हैं। जहाँ पर कारण , हेतु , वास्ते , निमित्त , खातिर आते है वहाँ पर कारणवाचक संबंधबोधक होता है।
जैसे :- (i) रावण अपनी दुष्टता के कारण मारा गया।

12. सीमावाचक संबंधबोधक

जो अव्यय शब्द सीमा का बोध कराते हैं उन्हें सीमावाचक संबंधबोधक कहते हैं। जहाँ पर तक , पर्यन्त , भर , मात्र आते है वहाँ पर सीमावाचक संबंधबोधक होता है।
जैसे :- (i) समुद्र पर्यन्त यह पृथ्वी तुम्हारी है।

संबंधबोधक और क्रिया विशेषण में अंतर

कुछ शब्द क्रिया विशेषण और संबंधबोधक दोनों रूपों में प्रयुक्त किए जा सकते हैं। जैसे- नीचे दिए गए उदाहरण देखिए:-

क्रिया विशेषण संबंधबोधक
वह पीछे भागा। वह राम के पीछे भागा।
लोग बाहर चले गए। लोग नगर से बाहर चले गए।
लड़के भीतर आए। लड़के कमरे के भीतर आए।

दोनों में यह अंतर है कि संबंधबोधक किसी संज्ञा या सर्वनाम के साथ आते हैं और क्रिया-विशेषण सीधे क्रिया की विशेषता प्रकट करते हैं। याद रखिए जब ऐसे शब्द संबंधबोधक की तरह प्रयोग किए जाते हैं तो उनसे पूर्व के “से”, “की’ आदि अवश्य जुड़े होते हैं। यदि इनके आगे “के”, “से”, “की” आदि न हों तो ये क्रिया-विशेषण बन जाते हैं। संबंधबोधक तीन प्रकार से प्रयोग किए जाते हैं:

    1. विभक्ति के साथ- जैसे- राम-नाम के समान कोई मित्र नहीं।
    2. बिना विभक्ति के- जैसे- भाई सहित राम अयोध्या लौटे।
    3. दोनों रूपों में- जैसे- पति के बिना या पति-बिना गति नहीं।

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *