नर्मदा प्राकृतिक सौंदर्य पुनर्स्थापना परियोजना 

नर्मदा प्राकृतिक सौंदर्य पुनर्स्थापना परियोजना 

♦️ National Thermal Power Corporation-NTPC लिमिटेड ने नर्मदा प्राकृतिक सौंदर्य पुनर्स्थापना परियोजना NLRP को लागू करने के लिये भारतीय वन प्रबंधन संस्थान (Indian Institute of Forest Management- IIFM), भोपाल के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं।

◾️ NTPC लिमिटेड विद्युत मंत्रालय के तहत एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम (PSU) है। मई 2010 में इसे महारत्न कंपनी का दर्जा दिया गया था।

♦️ प्रमुख

◾️नर्मदा प्राकृतिक सौंदर्य पुनर्स्थापना परियोजना 🌊

◾️यह एक सहयोगी औरसहभागी दृष्टिकोण है जो नदी के संसाधनों की निरंतरता और जल संसाधनों पर वन और कृषि प्रथाओं का प्रबंधन करेगा।

◾️ इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य एक प्रोत्साहन प्रणाली स्थापित करना है जो नर्मदा नदी घाटी के सहायक वन और कृषि समुदायों के स्थायी परिदृश्य को बनाए रखने में सहायक हो।

◾️ परिदृश्य/प्राकृतिक सौंदर्य प्रबंधन का तात्पर्य सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय प्रक्रियाओं के कारण हुए परिवर्तनों का नेतृत्त्व करने और इनके बीच सामंजस्य स्थापित करने के साथ ही सतत् विकास के दृष्टिकोण से किसी परिदृश्य/प्राकृतिक सौंदर्य का नियमित रख-रखाव सुनिश्चित करना है।

♦️ निलीधियन प्रणा

🧗‍♀यह कार्यक्रम NTPC लिमिटेड (कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व पहल के तहत) और यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) से समान अनुपात में प्राप्त अनुदान सहायता के साथ साझेदारी में शुरू किया गया है।

♦️ USAID विश्व की प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी है जो विकास परिणामों में तेज़ी लाने का कार्य करती है।

◾️ USAID का कार्य अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक समृद्धि को प्रकट करना है, जो अमेरिकी उदारता को प्रदर्शित करती है और प्राप्तकर्त्ता के लिये आत्मनिर्भरता और लचीलेपन/अनुकूलता/परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त करती है।

♦️ कार्यान्वयन

◾️4 वर्ष की अवधि वाली यह परियोजना मध्य प्रदेश के खरगोन ज़िले में ओंकारेश्वर और महेश्वर बाँधों के बीच नर्मदा नदी की चयनित सहायक नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में लागू की जाएगी।

♦️ ओंकारेश्वर बाँध

◾️ओंकारेश्वर बाँध इंदिरा सागर परियोजना के प्रमुख अनुप्रवाह (Downstream) बाँधों में से एक है, जो नर्मदा और कावेरी के तटों पर स्थित है।

◾️इंदिरा सागर एक बहुउद्देशीय परियोजना है जिसमें नर्मदा नदी पर विभिन्न बाँधों का निर्माण करना शामिल हैं।

◾️ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, जो 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, नर्मदा और कावेरी नदी के संगम पर स्थित है।

♦️ महेश्वर बाँध

◾️महेश्वर, 400 मेगावाट विद्युत उपलब्ध कराने के उद्देश्य से नर्मदा घाटी पर योजनाबद्ध तरीके से बनाए गए बड़े बाँधों में से एक है।

♦️ कार्यान्वयन एजेंसियाँ

◾️ भारतीय वन प्रबंधन संस्थान (IIFM), भोपाल जो पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) के तहत सरकार से सहायता प्राप्त एक स्वायत्त संस्थान है, ग्लोबल ग्रीन ग्रोथ इंस्टीट्यूट (GGGI) के साथ संयुक्त रूप से इस परियोजना को लागू करेगा।

♦️ परियोजना के लाभ

◾️ यह परियोजना पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बढ़ाने के लिये प्रकृति-आधारित समाधानों का विस्तार करेगी।

◾️ यह भूमि, जल और वायु से संबंधित स्वच्छ और टिकाऊ वातावरण के निर्माण में योगदान देगी।

◾️ इससे जल की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार होगा

♦️ नर्मदा नदी

◾️नर्मदा प्रायद्वीपीय क्षेत्र में पश्चिम की ओर बहने वाली सबसे लंबी नदी है। यह उत्तर में विंध्य श्रेणी तथा दक्षिण में सतपुड़ा श्रेणी के मध्य भ्रंश घाटी से होकर बहती है।

♦️ इसका उद्गम मध्य प्रदेश में अमरकंटक के निकट मैकाल श्रेणी से होता है।

◾️ इसके अपवाह क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा मध्य प्रदेश में तथा इसके अलावा महाराष्ट्र और गुजरात में है।

◾️ जबलपुर के निकट यह नदी ‘धुँआधार प्रपात’ का निर्माण करती है।
नर्मदा नदी के मुहाने में कई द्वीप हैं जिनमें से अलियाबेट सबसे बड़ा है।

♦️ प्रमुख सहायक नदियाँ

◾️हिरन, ओरसंग, बरना तथा कोलार आदि।
इंदिरा सागर, सरदार सरोवर आदि इस नदी के बेसिन में स्थित में प्रमुख जल-विद्युत परियोजनाएँ हैं।

♦️नर्मदा बचाओ आंदोलन

♦️यह नर्मदा नदी पर विभिन्न बड़ी बाँध परियोजनाओं के खिलाफ स्थानिक जनजातियों (आदिवासियों), किसानों, पर्यावरणविदों, मानवाधिकार कार्यकर्त्ताओं द्वारा चलाया गया सामाजिक आंदोलन है। गुजरात का सरदार सरोवर बाँध इस नदी पर निर्मित सबसे बड़े बाँधों में से एक है और यह आंदोलन के शुरुआती केंद्र बिंदुओं में से एक था।

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